Tuesday, April 23, 2019

संकटमोचन हनुमान अष्टक

छंद :

बाल समय रवि भक्षि लियो तब तीनहुं लोक भयो अंधियारों | 
ताहि सो त्रास भयो जग को यह संकट काहु सों जात न टारो || 
देवन आनि करी विनती तब छाड़ि दियो रवि कष्ट निवारो | 
को नहीं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो || को – १ || 

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो | 
चौंकि महामुनि शाप दियो तब चाहिए कौन बिचार बिचारो || 
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के शोक निवारो || को – २ ||

अंगद के संग लेन गए सिय खोज कपीश यह बैन उचारो | 
जीवत ना बचिहौ हम सो जु बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो || 
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब लाए सिया-सुधि प्राण उबारो || को – ३ || 

रावण त्रास दई सिय को तब राक्षसि सो कही सोक निवारो | 
ताहि समय हनुमान महाप्रभु जाए महा रजनीचर मारो || 
चाहत सीय असोक सों आगिसु दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो || को ४ || 

बान लग्यो उर लछिमन के तब प्राण तजे सुत रावन मारो | 
लै गृह बैद्य सुषेन समेत तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो || 
आनि संजीवन हाथ दई तब लछिमन के तुम प्रान उबारो || को – ५ || 

रावन युद्ध अजान कियो तब नाग कि फांस सबै सिर डारो | 
श्री रघुनाथ समेत सबै दल मोह भयो यह संकट भारो || 
आनि खगेस तबै हनुमान जु बंधन काटि सुत्रास निवारो || को – ६ || 

बंधु समेत जबै अहिरावन लै रघुनाथ पताल सिधारो | 
देवहिं पूजि भली विधि सों बलि देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो || 
जाये सहाए भयो तब ही अहिरावन सैन्य समेत संहारो || को – ७ || 

काज किये बड़ देवन के तुम बीर महाप्रभु देखि बिचारो | 
कौन सो संकट मोर गरीब को जो तुमसो नहिं जात है टारो || 
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु जो कछु संकट होए हमारो || को – ८ || 

दोहा :

लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर I 
बज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर II 

// इति //

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.